इस संबंध में दोनों देशों की नीतियां कितनी पर्याप्त हैं, यह समझने के लिए उनके शिक्षा मंत्रालयों की वेबसाइट पर बताए गए उद्देश्य व मिशन पर एक सरसरी नजर डालना ही काफी होगा.
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1990 के बाद साम्राज्यवादी समूह और देशी पूँजीपति वर्ग के संश्रय से कायम आर्थिक नवउपनिवेशवादी व्यवस्था को तात्कालिक रूप से उत्प्रेरित करने वाले कारकों पर विचार करने के बाद, इसे गहराई से समझने के लिए इतिहास पर एक सरसरी नजर डालना जरूरी होगा।